शेयर मार्केट :आम निवेशकों के लिए ख़ास बातें


 
आजकल शेयरों में निवेश कमाई का एक अच्छा साधन माना जाता है.ऐसा देखने में आ रहा है कि अनुभवी खिलाड़ियों के साथ-साथ युवा वर्ग भी इस क्षेत्र में रूचि ले रहा है.इसलिए आवश्यक है कि स्टॉक मार्केट की बारीकियों को हम बखूबी जानें. किसी भी कंपनी के शेयरों को खरीदने से पहले  एक आम इंसान को कुछ होम-वर्क ज़रूर करना चाहिए.हालाँकि शेयर मार्केट में कोई गारंटी नहीं होती फिर भी कुछ मूलभूत बातें हैं जो यह तय करतीं हैं कि बाज़ार में उपलब्ध तमाम शेयरों में से किस पर अपने पसीने की कमाई को लगाया जाये. आइये देखें कौन सी हैं वे बातें:
1. प्रोमोटर की हिस्सेदारी : यदि किसी शेयर में प्रोमोटर की हिस्सेदारी 55-60 प्रतिशतसे लेकर   70-85 प्रतिशत तक हो तो हिस्सेदारी के दृष्टिकोण से उसे एक बढ़िया शेयर माना  जा सकता है.
2. शेयरों की संख्या: इस मामले में सुझाव यह है कि ऐसी कंपनियों में निवेश जिनके शेयरों की  संख्या कम है,फायदेमंद हो सकता है.यहाँ 2 करोड़ को एक सीमा-रेखा माना जा सकता है,अर्थात कंपनी के कुल शेयरों की  संख्या यदि दो करोड़ से कम है तो ऐसे स्टॉक में निवेश उचित समझा जा सकता है.
3.कंपनी के तिमाही, छमाही तथा वार्षिक नतीजे: कभी भी शेयर खरीदने से पहले उस स्टॉक के पिछले नतीजों पर अवश्य गौर करें.जिन कंपनियों का ग्राफ लगातार उत्थान पर होता है वे भरोसेमंद होतीं हैं.ऐसी छोटी तथा मध्यम पूँजी वाली कम्पनियाँ जिनके शुद्ध मुनाफे का ग्राफ निरंतर उर्ध्वगतिशील हो, काफी लाभ दे सकती हैं.
4.डिविडेंड तथा बोनस : ये शेयर के ऐसे मापदंड हैं जिनसे यह पता चलता है कि कंपनी अपने निवेशकों का कितना ख्याल रखती है.कंपनी के व्यापार में निवेशकों का पैसा निहित होता है.अतः एक ईमानदार कंपनी अपने मुनाफ़े  का एक अंश समय-समय पर अपने निवेशकों को देती है.
5.फेस वेलू : जिन शेयरों कि फेस वेलू 10 है उनमे  काफी कुछ  घटित  होने  की  संभावना  मौजूद  होती  है.अतः ऐसे शेयरों को प्राथमिकता  देना  लम्बे  समय में समझदारी का सौदा साबित  हो सकता है.इसके  विपरीत  जिन शेयरों का मूल्य  विभाजन  हो कर  उनकी फेस वेलू 5,2 या 1हो चुकी  है , उनमे  संचित  उर्जा  तुलनात्मक  रूप  से कम होती  है.

6. EPS तथा मौजूदा  मूल्य  : कंपनी  को एक निश्चित  अवधी  में प्रति शेयर कितना मुनाफ़ा हुआ यह EPS से पता चलता है. किसी भी शेयर के आंकलन के लिए उसके पिछलेऔसत EPS तथा मौजूदा मूल्य का अनुपात निकालें. इसे प्रतिशत में बदल लें. यदि यह बैंक दर से कम आता है तो ऐसे शेयर को खरीदने का कोई औचित्य नहीं है. जिन शेयरों में यह प्रतिशत ज्यादा आता है उनमे वृद्धि की गुंजाइश होती है क्योंकि इस प्रतिशत के अधिक होने का अर्थ प्रति शेयर मुनाफे के हिसाब से मौजूदा मूल्य का कम होना होता है.
7. कंपनी समाचार: इन्टरनेट पर ऐसी वेब-साइटों की भरमार है जो कंपनियों के पुराने तथा वर्तमान समाचार देतीं हैं व उनकी भविष्यकालीन योजनाएं भी बतातीं हैं.कई टीवी चैनल जैसे सीएनबीसी,ब्लूमबर्ग,आवाज़,जी-बिजनेस,एनडीटीवी-प्रोफिट इत्यादि भी दिन-रात ऐसी जानकारियाँ देते रहते हैं.इनके विश्लेषण से अनुमान लगाया जा सकता है कि कौन सा शेयर निवेश के योग्य है. भविष्य की योजनाओं से मालूम होता है कि कंपनी की सोच प्रगतिशील है या नहीं.एक निवेशक की दूरदर्शिता इनफ़ोसिस में निवेश करना नहीं है , उसकी निपुणता यह पहचानने में है कि कौन सी कंपनी भविष्य में इनफ़ोसिस बनेगी.
8. कंपनी का वार्षिक व्यौरा:  साधारणतः एक आम निवेशक  ROE,ROA,ROI,ROCE आदि  अनुपातों का इस्तेमाल नहीं करता फिर भी यदि कुछ दिमागीकसरत करनी हो तो इनका उपयोग किया जा सकता है. कंपनी की वार्षिक बिकवाली ,उसके उधार  तथा वार्षिक व्यौरे में मौजूद अन्य तत्वों का भी अध्ययन आप कर सकते हैं. इस मामले में आप ROCE  का उपयोग कर सकते हैं. यह समझ लें कि ROCE  जितना ज्यादा हो उतना ही अच्छा है.
9. कंपनी में पैसे का आवागमन:  यह भी एक महत्त्वपूर्ण पहलू है. जिस कंपनी में में पैसे का आना-जाना सुचारू रूप से चलता है वह एक अच्छी कंपनी मणी जाती है. कैश-फ्लो के व्यौरे से इसकी जानकारी हम प्राप्त कर सकते हैं. यदि ऑपरेटिंग कैश फ्लो कंपनी के शुद्ध मुनाफ़े से ज्यादा हो तो अच्छा रहता है.


ऊपर जिक्र किये गए सभी मानदंडों से परिमार्जित हो कर जो शेयर आपके सामने आयें उनमे निवेश करने के बारे में आप सोच सकतें हैं.
कुछ और ख़ास बातें :
• निवेश की अवधि: आम निवेशकों के लिए लम्बी अवधि का निवेश ही सही रहता है क्योंकि डे-ट्रेडिंग  और छोटी अवधि के निवेश ज्यादा जोखिम भरे होते हैं.
• सतर्कता:  बाज़ार में पैसा लगाने के साथ-साथ पैसा निकलने के लिए भी तैयार रहना चाहिए.यदि बाज़ार के गिरने की स्थिति में बिकवाली नहीं की गयी तो ज्यादा नुकसान भी हो सकता है.एक नियम के हिसाब से यदि किसी शेयर में १०-१५ % की गिरावट आ जाये तो उसे बेच देना ठीक रहता है.
• जोखिम से बचने की योजना:  एक तरीका यह भी है की आपको हमेशा अपने मूल धन की चिंता करनी होगी.मसलन आपके  ख़रीदे  शेयर में काफी बढ़ोत्तरी आ जाती है तो एक ऐसे हिस्से को बेच सकते है जिससे आपका मूल धन निकल आये.इस तरह बाकी बचे हिस्से में बिलकुल जोखिम नहीं रहेगा.
• रायचन्दों से सावधानी:  शेयर मार्केट में एक बात ज़रूर याद रखें.इसमें सलाह देने वाले लोग बहुत मिलते हैं.किसी के भी झांसे में न आयें .आप अपने दिमाग से कम करें,समाचारों से अवगत रहने की कोशिश करें ,सरकार की नीतियों में जो बदलाव आते हैं उनपर गंभीरता से विचार करें.समय देख कर मुनाफा भी वसूल करें.
• पोर्टफोलियो में विविधता:  कुछ निवेशक जोखिम कम करने के लिए अपने पैसे को अलग अलग क्षेत्रों में लगाते हैं.जैसे तेल क्षेत्र,उर्जा,निर्माण,खुदरा व्यवसाय,कन्जयूमर गूड्स,सीमेंट,चीनी इत्यादि.
• बाज़ार में पैसा लगाने का समय व हैसियत: बाज़ार में पैसा लगाने का मन तभी बनायें जब आप के पास ऐसा धन मौजूद हो जिसकी आपको कम से कम साल-दो साल तक ज़रुरत न हो तथा जब शेयर मार्केट में गिरावट का दौर हो.
• कुछ उपयोगी वेबसाइटें: कुछ अच्छी वेबसाइटें जिन पर आपको काफी जानकारियाँ प्राप्त हो सकती हैं:
www.kotaksecurities.com,www.bseindia.com,www.icicidirect.com,www.capitalmarket.com,www.sharekhan.com,www.sify.com/shares,www.shcil.com


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