युवाशक्ति

images

उठो सरस्वती के वरदपुत्र ,करो क्रांति जय- उदघोष

अभिशप्त,अवसाद-ग्रसित समाज में, जन, जन-जागृति जोश||

 

शक्तिपुंज युवापीढ़ी की, चमक धूमिल क्यों हुईआज ?

जिसके बलवैभव पर सबको ,होती रही सदा से नाज़

फिर क्यों कुंठा का कलुषभाव ? क्षण - क्षण मुखरित होता आक्रोश ||

 

नई दिशा-नई श्वासों से, संचार सृष्टि में करने वाले

अपने पौरुष प्रखर-ज्वाल से ,लक्ष्य -भेद करने वाले

आगे बढ़ो चुनो कंटकपथ ,तभी खिलेगा आनंद -कोश       ||

 

अफ़सोस !हमें,क्षणिक बाधा ने, तेरे ज्वार को बाँध दिया

जो कमर कसे खड़े रहे ,उसने लक्ष्य को साध  लिया

सफलता उसके चरण चूमती ,जो करता नहीं कर्म-संतोष ||

 

जीवन मलय- पवन जैसा हो, शुद्ध ,शांत गतिमान सदा

धर्म-कर्म है सुमन खिले ,उगता रहता दिनमान सदा

खुद जलकर देता प्रकाश, ज्यों विषपायी आशुतोष ||

                                                                  Vivekanand         -ऋषि कान्त उपाध्याय

 


Like it on Facebook, Tweet it or share this article on other bookmarking websites.

No comments