भूमिका 

आधुनिक युग में परिवार समाज की सग्से छोटी इकाई है. हम कल्पना भी नहीं कर सकते की बिना पारिवारिक संस्था के देश या समाज कैसे चल सकता है. हम अधिकतर यह समझते है की परिवार की जो व्यवस्था हम देख रहे है वोह हमेशा ऐसी ही थी. किन्तु वास्तव में परिवार की संस्था का क्रमिक विकास हुआ है.  संयुक्त परिवार का विघटन और एकल परिवार का प्रचालन तो हम देख हु रहे हैं. 

आदिम जंगली मानव

आदिम काल में कोई परिवार संस्था नहीं थी. मनुष्य तथा पशु में कोई अंतर नहीं था  अभी मनुष्य ने कृषि या कोई उत्पादन का प्रारंभ नहीं किया था. हिंसक पशु के भय से आदि मानव झुंडो में रहते थे.  तब कोई सम्पति या भूमि स्यमित्व की धारणा नहीं थी. सभी संघर्ष धन, भूमि तथा नारी के लिए होते हैं. किन्तु आदि काल में केवल नारी के लिए ही संघर्ष होते थे. सभी पुरुष, स्त्रियाँ तथा  बचे समूह में रहते थे. बच्चे पूरे समूह का सामूहिक उत्तरदायित्व होते थे. 

पशुपालन तथा कृषि का युग 

क्रमश मानव ने खेती तथा पशुपालन शुरू किया. इस प्रकार भूमि के स्वामित्व तथा अदन प्रदान का युग प्रारंभ हुआ. कृषि तथा अन्य कार्यों के लिए आपसी सहयोग की आवश्यकता थी. पुरुष खेती तथा शिकार के लिए जाते थे तथा औरतें बच्चों के देखभाल तथा अन्य कार्य की देखभाल कराती थी. तब परिवार का प्रारंभ हुआ. यह परिवार कबीलों के रूप में थे. सभी पुरुष सभी स्त्रियों के पति थे. किन्तु इसमें जनरेशन का विचार रखा गया.  पिता तथा पुत्री, माँ तथा पुत्र के बीच सम्बन्ध निषिद्ध थे. 

काल क्रम में भाई बहिन तथा चाचा मामा अदि संबंधो के भाई बहिन अर्थात कजिन के संबंद भी निषिद्ध हुए. रक्त संबंधो के आधार पर कबीलों के स्थापना हुई. 

प्रारम्भ में परिवार मात्री सत्ता से संचालित थे. आअज भी ट्राइबल जातियों में कई स्थानों पर मात्री सत्ता व्यवस्था है. कालांतर में समाज पुरुष प्रधान हो गया.  

युगल परिवार का आरंभ

कालांतर में युगल परिवार का आरंभ हुआ. इसमें केवल एक पुरुष तथा एक पत्नी में सम्बन्ध होते. व्यक्तिगत सम्पति के विकास तथा उतराधिकार के साथ एकल परिवार का सम्बन्ध है.  किन्तु एकल परिवार बड़े संयुक्त परिवार का अंग होते थे. 

एकल परिवार का चलन

१९ वीं तथा बीसवी शताब्दी में औद्योगिक क्रांति हुई. इस से संयुक्त परिवार बिखर गए. ग्रामीणों का महानगरों को रोजगार के लिए जाना पड़ा. एकल परिवारों का प्रचालन बढ़ गया.

वर्तमान में एकल परिवारों का विघटन

आधुनिक युग व्यक्तिवाद का युग है.  कई लोग कोई पारिवारिक बंधन नहीं चाहते. वह अविवाहित रहना पसंद करते हैं. तलाक भी अधिक हो रहे हैं. एक नयी प्रथा बिन फेरे हम तेरे या लाइव इन रिलेशन भी कई लोगों की पसंद है. इसमें कोई संदेह नहीं की बिना परिवार के मजबूत आधार के राष्ट्र तथा समाज बिखर जायेगा.  इसलिए सभी को सचेत होने की जरूरत है.


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