मेरे आंगन की चिड़िया , तुम थोड़ी देर जरा रुकना 
जब तक मै बाहर आऊं  , तब तक ये दाना चुगना।
फिर हम दोनों मिल बैठेगे , साथ मुझे भी ले चलना
दूर क्षितिज के धुंधलाए से आंचल में ओझल करना।
अब हम दोनों खूब उड़ेंगे , पीछे  मुड़ कर ना देखेंगे
नयी दिशा में खुली हवा में आँखमिचोली  खेलेंगे।
तुम पत्तों में छिप मत जाना ,तुम्हें पकड़ न पाऊंगी
ओ हमजोली मेरी चिड़िया , मै कैसे रह पाऊंगी।
फिर आना तुम , धीरे -धीरे छुपना मुझको भी सिखलाना
अपने पर से मेरे कर को बांध दिशाए दिखलाना।
ये दुनिया है छल प्रपंच की , हम इसमें ना डोलेंगे
लीन असीम सत्ता में हो कर , अविरल सुख को भोगेंगे।


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