नव वर्ष नवगीत का हो ,                                                                        

अंतर मन से प्रीत का हो

सुमधुर,सत्य,संगीत का हो ,

उम्मीद की जीत का हो ,

अश्रु पुर्रित अतीत का हो ,

नव वर्ष नव गीत का हो .

 

नव वर्ष उत्कर्ष का हो

सफलता के स्पर्श का हो ,

स्वस्थ,आनंद,हर्ष का हो ,

साथ बैठ विमर्श का हो .

 

अमन,चैन की नीद का हो ,

उजड़ी हुई उम्मीद का हो ,

ज्ञान के प्रकाश का हो

मेरे अटूट विश्वाश का हो .

 

-ऋषि कान्त उपाध्याय.


Like it on Facebook, Tweet it or share this article on other bookmarking websites.

No comments