बहुत पुरानी बात है एक राजा था , वह एक आँख से काना था । एक दिन उसके मन में विचार आया कि मैं अपनी एक तस्वीर बनवाऊं ।
उसने अपनी इक्छा मंत्री से व्यक्त कि ,राजा कि इक्छा सुनकर मंत्री ने राज्य मे घोषणा करवा दी कि राजा का चित्र बनाने के लिए महल मे चित्रकारों को आमंत्रित किया जाता है ।
घोषणा सुन कर राज्य के एक से बढकर एक कलाकार महल मे उपस्थित हो गए । सभी कलाकारों ने बड़ी लगन से चित्र बनाये , उनमे से सिर्फ तीन चित्रों को चुना गया ।
पहला चित्र बहुत सुन्दर था ,पर उसमे राजा कि दोनों आँख बनी हुई थीं । चित्र देखकर राजा ने कहा यह सुन्दर तो है लेकिन सत्य नहीं है, क्योंकि हम एक ही आँख से देख सकते हैं । इस चित्र मे सुन्दरता के साथ साथ सत्य नहीं है ।
दुसरे चित्र मे राजा को हुबहू काना दिखाया गया था , उसे देखकर राजा ने कहा यह सत्य तो है , पर सुन्दर नहीं है ।
अब राजा को तीसरा चित्र दिखाया गया , इसमें राजा जंगल मे शिकार कर रहा था । सामने शेर था और राजा तीर लिए , कमान खींचे , शेर पर वार करने कि मुद्रा मे था । जिसमे राजा कि एक आँख बंद नजर आ रही थी ।
इस चित्र को देखकर राजा ने चित्रकार कि प्रशंसा कि और कहा चित्रकार बहुत चतुर है । इस चित्र मे सत्य और सुन्दरता को साथ साथ प्रस्तुत कर दिया गया है । राजा ने इसी चित्र को पुरुस्कार प्रदान किया ।
- Written by This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it..
- In category Stories & Tales.
- 14 years ago.
Hot
Hits: 1689
Like it on Facebook, Tweet it or share this article on other bookmarking websites.