लज्जा के बीज
डॉ. संजीव के. पॉल
बीज जो मैंने बोये
बोये अपने बागीचे में
मेरे सिद्धांतों का बागीचा
सिद्धांत, मेरी मार्गदर्शक शक्ति
मार्गदर्शक शक्ति मेरे जीवन की
जीवन जो बन गया
बन गया बोझ
बोझ मेरे परिवार पर
मेरे परिवार और देश पर
मेरे देश को अब मेरी ज़रूरत नहीं
क्योंकि मैं गंवा चुका हूँ अपने अंग
सीमाओं पर लड़ते हुए
मेरा परिवार अब मुझे नहीं चाहता क्योंकि
क्योंकि मेरे सिद्धांत उनके जीवन के अवरोध हैं
जीवन जो बीज से वृक्ष बनता है
बीज जो मैंने बोये और वृक्ष पल्लवित हुए
वृक्ष जो उन बीजों से पल्लवित हुए
लज्जा के बीज
बीज लज्जा के जो मेरे सिद्धांतों को, जीवन को कोसते हैं
अनुवादः सुरेन्द्र पॉल
- Written by
This email address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it. . - In category General Reference.
- 15 years ago.
Like it on Facebook, Tweet it or share this article on other bookmarking websites.