प्यार के भी क्या रंग है |
हर रंग की खुशबू उसके सन्ग है |

जब कभी एक रिश्ता बनता है |
उस रिश्ते की बुनियाद प्यार है |
उसमे पलती मिद्हस प्यार है |
हर रिश्ते की स्वागत प्यार है |

प्यार दिलो का बंधन है |
फूलो का एक चिलमन है |
प्रेमियों के दिल की सुल्जन है |

प्यार एक इसी गधा है,
जिसे एक बेरागी गता है |
इसे समझ कोई ना पता है |
कब ये केसे हो जाता है |

जब तुम इस रस में रंग जाओ
सहज के रखना तुम उसको |
एस नफरत की दुनिया में
ये बार बार ना मिल पता है |
सिर्फ प्यार के ही मौसम में ,
दुश्मन भी दोस्त बन जाता है |

शिकवा किया था तुमने जो मेने दर्द दिया |
पर दर्द के maraham को  तुमने ही thukara दिया |
हमारे दर्द में भी प्यार जिसे तुम समझ ना सके |
पर तुम्हारे हर दर्द को hne अपना समझ लिया |

-Atul Barapatre

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