नंबर  का खेल भी अजीब है !

अभी कुछ दिनों पहले एक  खबर  सुनने   में   आई की भारत सरकार  अपने नागरिकों  को एक नया परमानेंट अकाउंट न. देने पर विचार कर रही है

जिसमें खाता  धारक के उँगलियों के और शायद  उनकी आँखों की पुतलियों के चिनह होंगे यानि की अब नागरिकों को एक बहुत ही उम्दा    न.

मिलने वाला  है  ! और एक विसिशथ पहचान   संख्या  .    ...........  ?     यूनिक  इदेंतेफिकेसन   न.  

 अब ये कार्ड न. कैसा होगा इसकी कल्पना  मात्र  से  मेरे पास जो  पुराना कार्ड है  वो   बेचारा  तो सहीद   हो जायेगा ,  अब मैं   सोच रहा हूँ की  मैं  उसका  क्या  करूंगा  , वो तो मेरे लिए  बेकार  हो  जायेगा . मैं सोच रहा हूँ की  अब बेचारी  जनता  के  ऊपर एक और सरदर्द   क्यूँ  लादा  जा  रहा  है .

हमारे   पास  पहले  से  ही  इतने न.  है  की  उन्हें  ही  याद  रखना   बहुत  ही  मुश्किल है फिर  हम  कब तक  न.  का  बोझ  उठाते रहेंगे 

  फिर राशन  कार्ड  न. , स्कूल   न. , बस न. , ट्रेन   न. ,  हाउस  न.  ,  गाडी  का  न.  ,  निवेदन  न. , टेंडर न. ,  मतदाता  पहचान  न.  ,  बैंक    खाता    न.

टेलेफोन  न.  ,  मोबाइल    न.  ,  आदि -  आदि  !

इतने  सारे   न.  फिर  भी  कुछ  अधुरा   सा   लगता   है  की  अभी भी  बहुत  कुछ  बाकी   है  ........... शायद  न.  छुट  गया  कोई  कौन सा ............?

  ये  सब शायद हमारी यानी  की  इस  गरीब   जनता  की  सुरक्षा के लिए है !


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