सारे संसार मे कुछ परम्पराएँ , रीतिरिवाज , छुट्टियाँ ऐसी हैं , जिनकी शुरुवात का पता लगाना बहुत ही मुश्किल है . हम रीतिरिवाज़ या परम्पराओं को केवल निभाते हैं , लेकिन उनकी उत्त्पति  का कारन  नहीं जानते हैं . पहली अप्रैल को लगभग  सभी देशो  मे  ' फूल्स डे ' माना जाता है .इस दिन लोग अपने मित्रों , रिश्तेदारों , पड़ोसियों और अपने प्रिय को अजीब तथा विचित्र ढंग से मूर्ख बनाने की कोशिश करते हैं . हम मे से भी कई लोगो ने पहली अप्रैल को इस तरीके से अपने  प्रियजनों को मूर्खतापूर्वक कार्य अथवा धोके मे डालने वाले वाले उपहार देकर काफी आनंद लिया होगा . परन्तु  कभी भी आप मे  से किसी के मन मे कभी भी ये ख्याल आया है की हम पहली अप्रैल  को ये सब क्यों करते हैं , दोस्तों अथवा प्रियजनों से हम यूं तो मज्ज़ाक लगभग हर दिन करते हैं  , तो सिर्फ पहली अप्रैल  को ही हम 'फूल  डे ' क्यों मनाते हैं ?

                                                                     बहुत से लोगो का मानना  है की अप्रैल फूल की शुरुवात  17वीं  सदी से हुई , परन्तु पहली अप्रैल को 'फूल्स डे ' के रूप मे माना जाना और लोगो लोगों के साथ हंसी मज्ज़ाक करने का  सिलसिला सन 1564 के बाद फ्रांस से शुरू हुआ . इस परंपरा की शुरुवात की कहानी बड़ी ही  मनोरंजक है .

                                         1564  से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों मे एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था , जिसमे हर नया वर्ष पहली अप्रैल से शुरू होता था . उन दिनों पहली अप्रैल के दिन को लोग नववर्ष के प्रथम दिन की तरह  ठीक इसी प्रकार मनाते थे , जैसे आज हम पहली जनवरी  को मनाते हैं . इस दिन लोग एक - दूसरे को नववर्ष के उपहार देते थे , शुभकामनाए  भेजते थे  और एक दूसरे के घर मिलने को जाया करते थे . सन  1564 मे  वहां के राजा चार्ल्स नवं (CHARLES1X) ने एक बेहतर कैलेंडर  को अपनाने का आदेश दिया . इस नए कैलेंडर मे आज की तरह पहली  जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था . अधिकतर लोगो ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया , लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे , जिन्होंने  नए कैलेंडर को अपनाने से इंकार कर दिया था . वह पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे . ऐसे लोगो  को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालो ने  पहली अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के मज्ज़ाक और झूठे उपहार  देने शुरू कर दिए . और तभी से आज तक  पहली अप्रैल को लोग 'फूल्स डे ' के रूप मे मनाते हैं . आज के लोग इन पुराणी बैटन को तो भूल गए हैं , लेकिन पहली अप्रैल को फूल्स डे मनाना ab ही तक नहीं भूले हैं. ये  अब एक तरह से हर वर्ष आने वाले त्योहारों की ही तरह हमारे जीवन मे शामिल हो गया है .

                                                                       इसलिए आगे से कभी भी आप लोग जब कभी भी किसी का अप्रैल फूल बनाये तो उसे  इस दिन को मानाने के पीछे रहे कारन के बारे मे भी ज़रूर बताये .


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